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जय श्री श्याम गौशाला समिति का मिशन है कि गौ माता की सेवा और संरक्षण को जन आंदोलन बनाया जाए। प्रत्येक गाँव, शहर और परिवार में गौ सेवा की भावना जागृत हो, जिससे न केवल गायों का कल्याण हो, बल्कि समाज में करुणा, शांति और संस्कारों की स्थापना हो। हम चाहते हैं कि गाय को मात्र एक पशु नहीं, बल्कि “धार्मिक, आयुर्वेदिक और पारिवारिक मूल्य” के रूप में देखा जाए।
जय श्री श्याम गौशाला समिति का विजन हम एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जहाँ हर गली, मोहल्ले और खेत में गायों को स्नेह, सुरक्षा और सम्मान मिले। हमारा उद्देश्य है कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए, जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए और युवाओं को गौ आधारित स्वरोजगार से जोड़ा जाए। गौ माता के संरक्षण से हम पर्यावरण, स्वास्थ्य और संस्कृति—तीनों की रक्षा कर सकते हैं। हमारा विज़न है: “गौ सेवा से नव भारत निर्माण।”
धार्मिक लाभ गो सेवा को हिन्दू धर्म में अत्यंत पुण्य का कार्य माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। आध्यात्मिक शांति गाय की सेवा से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह ध्यान और साधना में भी सहायक होती है। स्वास्थ्य लाभ गाय का दूध, घी, मूत्र और गोबर आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग होता है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कृषि में सहायक गोबर से जैविक खाद तैयार होती है और गोमूत्र से कीटनाशक बनते हैं। इससे खेती प्राकृतिक और रसायन मुक्त बनती है। समाज सेवा गोशाला में सेवा करने से जरूरतमंद लोगों को रोज़गार मिलता है और पशु कल्याण में योगदान होता है। पर्यावरण संरक्षण गाय के उत्पादों का उपयोग करके प्रदूषण रहित जीवन जीया जा सकता है। संस्कार निर्माण: बच्चों में करुणा, सेवा और धर्म के संस्कार विकसित होते हैं।
आपकी सेवा, आपके विचार और आपका समर्पण, इस पवित्र मिशन को मजबूत बनाते हैं। आइए, हम सब मिलकर गौ माता के संरक्षण का संकल्प लें और इसे अपना धर्म बनाएं।